नवरात्रि कलश का जल बदबू मारने लगे तो क्या करें? कारण, उपाय और आध्यात्मिक रहस्य
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| नवरात्रि का कलश — देवी माँ के आगमन का पवित्र प्रतीक। इसमें बसता है सौभाग्य, शुद्धता और दिव्यता का अमृत। |
जय माता दी प्रिय पाठकों
कैसे है आप,आशा करते हैं कि आप स्वस्थ और प्रसन्नचित्त होंगे
नवरात्रि का पर्व भक्तिभाव, शुद्धता और माँ दुर्गा की ऊर्जा से भरा होता है।
इन नौ दिनों में हम अपने घर में कलश स्थापना करते हैं — जो देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
लेकिन कई बार देखा जाता है कि नवरात्रि के कुछ दिनों बाद कलश का जल बदबू मारने लगता है,
जिससे मन में सवाल उठता है -
क्या यह कोई अशुभ संकेत है? क्या इसमें कोई गलती हुई है?
आइए आज इसे सरल भाषा में समझते हैं -
भौतिक कारणों से लेकर आध्यात्मिक दृष्टि तक,
और जानते हैं कि इसे शुद्ध और सुगंधित कैसे रखा जाए।
कारण १: प्राकृतिक या भौतिक वजहें
1. जल का लंबे समय तक रहना
कलश में भरा जल कई दिनों तक एक ही स्थान पर रहता है।
अगर उसमें हवा का प्रवाह नहीं होता, तो उसमें जीवाणु (bacteria) पनपने लगते हैं, जिससे बदबू आने लगती है।
2. कलश में रखी वस्तुएँ सड़ना
आम के पत्ते, सुपारी, या नारियल जैसी वस्तुएँ अगर नमी में सड़ने लगें, तो जल में दुर्गंध आ सकती है।
3. गर्मी और नमी वाला वातावरण
अगर पूजा स्थल बंद या गर्म जगह पर है, तो जल जल्दी खराब हो जाता है।
कारण २: आध्यात्मिक दृष्टि से
कलश केवल एक पात्र नहीं - यह देवी माँ की उपस्थिति का प्रतीक है।
अगर पूजा स्थल पर स्वच्छता न रखी जाए, या पूजा करते समय मन में क्रोध, उदासी या तनाव हो,
तो उसका सूक्ष्म असर जल की ऊर्जा पर पड़ता है।
देवी की उपस्थिति में मन, स्थान और वाणी की पवित्रता बहुत आवश्यक है।
जहाँ मन शांत और वातावरण शुद्ध हो, वहाँ कलश का जल हमेशा सुगंधित रहता है।
उपाय: बदबू आने पर क्या करें
1. तुरंत जल बदलें
पुराना जल किसी पौधे या पवित्र स्थान पर डाल दें, नाली में नहीं।
2. नया जल भरते समय ये डालें
- थोड़ा गंगाजल
- तुलसी पत्र
- एक छोटा कपूर का टुकड़ा
- एक लौंग या हल्की इलायची
- ये सब जल को प्राकृतिक रूप से शुद्ध रखते हैं।
3. नारियल ताज़ा रखें
अगर नारियल में सड़न दिखे तो तुरंत नया नारियल रख दें।
4. धूप और दीपक रोज जलाएँ
इससे आसपास का वातावरण शुद्ध और ऊर्जावान बना रहता है।
संवाद के माध्यम से समझें
श्रद्धालु: माँ का कलश रखा है, पर आज उसका पानी बदबू दे रहा है। क्या यह कोई गलती का संकेत है?
उत्तर: नहीं, यह सामान्य बात है। या तो जल लंबे समय से बिना बदले रखा है, या वातावरण गर्म है।
बस जल बदल दीजिए, उसमें गंगाजल और तुलसी डालिए।
श्रद्धालु: अगर मन अशांत हो तो क्या जल पर असर पड़ता है?
उत्तर: बिल्कुल। कलश की ऊर्जा आपके मन से जुड़ी होती है।
अगर पूजा करते समय मन शांत और श्रद्धा से भरा हो, तो जल हमेशा सुगंधित रहता है।
श्रद्धालु: और अगर रोज जल न बदल सकूँ तो?
उत्तर: कलश स्थापना के समय ही जल में गंगाजल, कपूर और तुलसी डाल दें।
इससे जल नौ दिन तक शुद्ध बना रहेगा।
कैसे रखें कलश का जल पूरे नौ दिन तक शुद्ध
- ताँबे या पीतल का कलश उपयोग करें।
- जल भरते समय “ॐ अपवित्रः पवित्रो वा...” मंत्र बोलें।
- रोज सुबह धूप, दीप और फूल अर्पित करें।
- जल के पास कोई गंदगी, तेल या बचा हुआ प्रसाद न रखें।
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FAQs
प्रश्न 1: क्या कलश का जल बदलना अशुभ होता है?
उत्तर: नहीं, अगर जल खराब हो गया हो तो बदलना ही उचित है। यह देवी की पवित्रता बनाए रखने का हिस्सा है।
प्रश्न 2: बदबू वाला जल कहाँ डालें?
उत्तर: उसे पौधों में, तुलसी के पास या मिट्टी में डालें। कभी नाली या गंदे स्थान पर न डालें।
प्रश्न 3: क्या कलश में सुगंधित द्रव्य डाले जा सकते हैं?
उत्तर: हाँ, कपूर, इलायची या गुलाब जल डालने से हल्की सुगंध रहती है।
सारांश
नवरात्रि के कलश का जल बदबू मारना कोई अशुभ संकेत नहीं है,
बल्कि यह संकेत है कि आपको थोड़ी देखभाल और शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए।
याद रखिए -
- कलश में जल केवल तत्व नहीं, देवी माँ की ऊर्जा है।
- जहाँ मन, वाणी और स्थान शुद्ध हों,
- वहाँ माँ दुर्गा स्वयं विराजमान रहती हैं,
- और हर दिशा में दिव्य सुगंध फैलती है।
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प्रिय पाठकों ! आशा करते है आपको पोस्ट पसंद आई होगी। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद यदि आपके मन में भी कोई प्रश्न उठता है तो आप निःशंकोच हमसे पूछ सकते है।
हम उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे। इसी के साथ हम विदा लेते है। विश्वज्ञान में अगली पोस्ट के साथ फिर मुलाक़ात होगी।तब तक आप खुश रहिये और प्रभु का स्मरण करते रहिये।
धन्यवाद
जय माता दी

