2026 का दशहरा: रावण को जलाया जाएगा या बदलाव की नई शुरुआत होगी?

VISHVA GYAAN

2026 का दशहरा: रावण को जलाया जाएगा या बदलाव की नई शुरुआत होगी?


2026 का दशहरा – रावण दहन या बदलाव की नई शुरुआत, परिवार अपने भीतर के रावण को मिटाने का संकल्प लेते हुए
2026 के दशहरे की खास तस्वीर, जिसमें एक ओर रावण दहन और दूसरी ओर परिवार अपने भीतर के रावण को जलाते हुए दिखाया गया है। यह बदलाव और सकारात्मक सोच का संदेश देती है।


जय श्री कृष्ण प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप, आशा करते हैं कि आप सुरक्षित होंगे।

मित्रों! आजकल दशहरे (जिसे कुछ लोग विजयदशमी के नाम से भी जानते है) पर रावण दहन को लेकर तरह–तरह की चर्चाएँ हो रही हैं। कुछ लोग इसे परंपरा मानकर करते हैं, तो कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या बुराई का प्रतीक रावण केवल जलाने से मिटेगा, या हमें उसके गुणों और अवगुणों को समझकर सही बदलाव करना चाहिए।

हर साल जब दशहरा आता है, पूरा देश बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाता है। मेले लगते हैं, रामलीला होती है, और रावण का विशाल पुतला आग में जलाकर लोग यह संदेश देते हैं कि “सत्य की हमेशा जीत होती है।

लेकिन अब सवाल उठता है -

क्या 2026 में भी हम रावण का पुतला जलाते रहेंगे, या समाज में कोई नया बदलाव देखने को मिलेगा?

आज हम आपके लिए इसी विषय पर एक आकर्षक और विचारोत्तेजक पोस्ट लेकर आए हैं । तो चलिए पढ़ना शुरू करते हैं 

 क्यों उठते हैं रावण दहन पर सवाल?

1. इतिहास की अलग धारणाएँ - कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण विद्वान, महापंडित और शिवभक्त भी था। केवल उसके दोषों को याद कर उसे जलाना क्या न्याय है?

2. आधुनिक दृष्टिकोण - कई लोग कहते हैं कि अगर समाज में झूठ, अन्याय, लालच, और महिलाओं का अपमान अभी भी मौजूद है, तो असली रावण तो हमारे भीतर है।

3. पर्यावरण चिंता - बड़े-बड़े पुतले जलाने से प्रदूषण भी बढ़ता है। इस वजह से भी विरोध की आवाजें तेज हुई हैं।

 बदलाव की ओर बढ़ते कदम

अब कई जगह लोग पुतले जलाने की बजाय प्रतीकात्मक रावण दहन करने लगे हैं।

कुछ समाज केवल एक दीपक जलाकर संदेश देते हैं कि अज्ञानता का अंधकार मिटाओ।

कहीं पर बच्चे मेरे अंदर का रावण कौन है लिखकर पर्चियां डालते हैं और उन्हें आग लगाते हैं।

कुछ शहरों में रावण दहन के पैसे से गरीबों की मदद की जाती है।

इस तरह, दशहरा अब केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि सकारात्मक परिवर्तन का संदेश बनता जा रहा है।

जानिए - रामायण के ऐसे 10 भयंकर राक्षस – जिन्हें देखकर देवता भी काँप उठते थे |  

2026 का दशहरा कैसा हो सकता है?

2026 का दशहरा भी इन नई सोचों के बीच खास रहेगा।

  • कई जगह लोग अभी भी परंपरागत रावण दहन करेंगे।
  • लेकिन धीरे-धीरे बदलाव की आवाज और तेज होगी।
  • हो सकता है इस बार ज्यादा जगहों पर लोग पुतले जलाने की बजाय समाज की बुराइयों को मिटाने का संकल्प लें।

असली संदेश क्या है?

राम और रावण की कथा हमें यही सिखाती है कि जो अहंकार और अन्याय में डूब जाता है, उसका अंत निश्चित है।

इसलिए, चाहे हम रावण का पुतला जलाएँ या न जलाएँ - असली विजय तभी है जब हम अपने भीतर के रावण को हराएँ। आपको क्या लगता है, क्या आप इस बात से सहमत है?  अगर नहीं तो comment में बताये कि  रावण को क्यों नहीं जलाना चाहिए 

संक्षिप्त जानकारी 

2026 का दशहरा केवल उत्सव नहीं होगा, बल्कि एक विचार भी होगा।

क्या हम सिर्फ पुतला जलाकर संतुष्ट हो जाएंगे, या सच में अपने जीवन से क्रोध, लोभ, अहंकार और अन्याय को मिटाने की कोशिश करेंगे?

क्योंकि असली रावण बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर है - और उसे जलाना ही सबसे बड़ा विजय उत्सव है।

FAQs अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

दशहरा 2026 पर रावण दहन होगा या नहीं?

2026 में कई जगह परंपरागत रूप से रावण दहन किया जाएगा, लेकिन साथ ही कई लोग बदलाव की ओर भी बढ़ेंगे। कुछ शहरों और समुदायों में पुतला जलाने की बजाय प्रतीकात्मक तरीके अपनाए जाएंगे, जैसे दीप जलाना या सामाजिक बुराइयों को जलाने का संकल्प लेना।

क्या रावण दहन बंद हो सकता है?

पूरी तरह बंद होना मुश्किल है क्योंकि यह सदियों से चली आ रही परंपरा है। लेकिन धीरे-धीरे पर्यावरण और सामाजिक सोच के कारण इसका स्वरूप बदल रहा है। अब लोग वास्तविक रावण यानी अहंकार, क्रोध, और अन्याय को खत्म करने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।

रावण दहन का असली संदेश क्या है?

रावण दहन का असली संदेश है - अहंकार, अन्याय और बुराई का अंत। इसका मतलब केवल पुतला जलाना नहीं, बल्कि अपने अंदर के दोषों को खत्म करना है।

क्या रावण पूरी तरह बुरा था?

नहींरावण एक महापंडित, शिवभक्त और विद्वान भी था। उसके कई अच्छे गुण भी थे, लेकिन अहंकार और अधर्म ने उसके जीवन को नष्ट कर दिया। इसलिए उसे जलाने का प्रतीक बुराई के अंत का है।

दशहरा 2026 में क्या खास होगा?

20 अक्टूबर 2026 को दशहरा मनाया जाएगा। इस साल चर्चा इस बात की ज्यादा होगी कि केवल पुतला जलाने से बुराई खत्म नहीं होती। लोग समाज और अपने भीतर के रावण को खत्म करने की बात करेंगे।

क्या दशहरे का जश्न मनाने के नए तरीके भी हैं?

हाँ, अब कई लोग पर्यावरण और सामाजिक दृष्टिकोण से नए तरीके अपनाते हैं। जैसे -

  • गरीबों की मदद करना
  • प्रतीकात्मक दीप जलाना
  • बच्चों को अच्छाई-बुराई की शिक्षा देना
  • अपने दोषों को लिखकर कागज़ पर जलाना

प्रिय पाठकों, आपने देखा कि 2026 का दशहरा केवल रावण दहन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समाज में बदलाव का संदेश भी देगा।

जानिए कैसी है आज की नारी: सीता जैसी मर्यादा या शूर्पणखा जैसी जिद – किस दिशा में जा रहा है समाज?

अब सवाल आपसे है —

क्या आपको लगता है कि रावण का पुतला जलाना ज़रूरी है, या हमें अपने भीतर के रावण को जलाने पर ध्यान देना चाहिए?

क्या आने वाले समय में दशहरा केवल परंपरा रहेगा या नए रूप में बदलाव का प्रतीक बनेगा?

आपके शहर में दशहरे पर क्या खास परंपराएँ होती हैं?

अपनी राय हमें कमेंट में ज़रूर बताइए और बताइए कि आप 2026 का दशहरा किस तरह मनाना चाहेंगे

प्रिय पाठकों,आशा करते है कि यह पोस्ट आपको पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं। ऐसी ही रोचक जानकारी के साथ अगली पोस्ट में फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए आप अपना ख्याल रखे। हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए। 

धन्यवाद🙏 

हर हर महादेव 🙏 जय श्री कृष्ण 

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)