क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए

 हर हर महादेव!प्रिय पाठकों,कैसे है आप लोग, आशा करते हैं कि आप भगवान शिव की कृपा से ठीक होंगे। 


मित्रों, आज इस पोस्ट मे हम गरूड पुराण के बारे मे जानेंगे। जानेंगे की मनुष्य को जीते जी गरूड पुराण   पढ़ना चाहिए या नहीं पढ़ना चाहिए। तो चलिए बिना देरी किए पढ़ते हैं आज की पोस्ट-


क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए ?


क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए


मित्रों ! अक्सर आपने गरुड़ पुराण के बारे में बहुत सी बातें सुनी होगी, जिसमें कि हमें ज्यादातर समाज में यह सुनने को मिलता है कि किसी भी जीवित मनुष्य को गरुड़ पुराण नहीं पढ़ना चाहिए। 


इतना ही नहीं अधिकतर लोगों के मन में यह डर बैठा दिया गया है की अगर कोई जीवित मनुष्य इस पुराण को पड़ता है या अपने पास रखता भी है तो उसके जीवन में हर समय कुछ न कुछ घटनाएं घटती रहती है। 


लेकिन दोस्तों! ऐसा बिल्कुल भी नही है ,क्योंकि आज हम गरुड़ पुराण के बारे में आपको ऐसा रहस्य बताने वाले हैं जिसे जानने के बाद आप इस भय से मुक्त हो जाएंगे। 


प्रिय पाठकों! गरुड़ पुराण का पाठ किसी परिजन की मृत्यु के पहले कभी भी पढ़ा जा सकता है। गरूड पुराण को हर जिवित मनुष्य पढ़ सकता है। जो व्यक्ति गरूड पुराण पढ़ने की इच्छा रखता है इसे बेखौफ हो कर पढ़ सकता है और घर मे पुराण का पाठ करवा भी जा सकता है।  


क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए

गरूड पुराण मे स्वर्ग,नर्क, पाप और पुण्य के अलावा भी बहुत कुछ है। गरूड पुराण मे ज्ञान ,विज्ञान ,नीति ,नियम और धर्म की बातें हैं। गरुड़ पुराण को सनातन धर्म में 18 पुराणों में से एक माना जाता है। 


दान के अधिष्ठात्री देव भगवान विष्णु हैं। हिंदू धर्म में कुल 18 पुराण हैं उन्हीं में से एक गरुड़ पुराण है जिसमें कुल 18000 श्लोक और 271 अन्य है। 


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गरूड पुराण मे एक ओर जहां मौत का रहस्य है,तो वहीँ दूसरी ओर जीवन का रहस्य छुपा हुआ है। गरूड पुराण से हमें कई तरह की शिक्षा मिलती है। गरुण पुराण में मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। 


गरूड पुराण में भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच हुए संवाद का वर्णन किया गया है।दोस्तों,अक्सर ये देखा गया है कि जब किसी के परिवार मे किसी की मृत्यु हो जाती है या कोई मृत्यु शय्या पर होता है ,तो उस घर में गरूड का पाठ कराया जाता है। 


और यही सब देखकर लोगों के मन मे डर बैठ जाता है कि ,जीवित मनुष्य गरूड पुराण का पाठ ना कर सकता और ना ही अपने पास रख सकता है। परंतु ऐसा नहीं है क्योंकि गरुड़ पुराण के शुरू में ही इसके पाठ करने से संबंधित महात्म्य के बारे में बताया गया है। 


जिसके अनुसार यदि कोई जीवित मनुष्य अपने जीवन में इस पवित्र पुराण का पाठ करता है, तो उसे यश,विद्या,सोंदर्य,लक्ष्मी,विजय और आरोग्य आदि के विषय में ज्ञान की प्राप्ति होती है। 


जो मनुष्य इसका नियमित पाठ करता है या सुनता है, तो वह सब कुछ जान जाता है। और उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है।  


जो मनुष्य एकाग्रचित्त होकर इस गरूड पुराण का पाठ करता है सुनता है या जो लिखता है अथवा जो पुस्तक के रूप मे ही इसको अपने पास रखता है,वह मनुष्य यदि धर्माथी है तो उसे धर्म की प्राप्ति होती है। और यदि वो अर्थ का अभिलाषी है, तो वह अर्थ प्राप्त करता है। 


गरुड़ पुराण के अनुसार ,ऐसे लोग जो अपने माता-पिता या संतान को दुखी करते हैं ,वो अगले जन्म में धरती पर जन्म नहीं ले पाते ब्लकि जन्म लेने से पहले गर्भ मे ही उनकी मृत्यु हो जाती है। 


ऐसे लोग जो महिलाओं का शोषण करते है या कराते हैं, वे अगले जन्म में भयंकर बीमारियों से पीड़ित होते हैं। और शारीरिक कष्ट मे जीवन बिताते है। 


जिस मनुष्य के हाथ में यह महापुराण विद्यमान है उसके हाथ में ही नीतियों का भंडार है जो प्राणी इस पुराण का पाठ करता है इसको सुनता है। वह भोग और मोक्ष दोनों को प्राप्त कर लेता है। गरूड पुराण को केवल एक बार पढ़ने व सुनने से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थ ओं की सिद्धि हो जाती हैं। 


गरूड पुराण का पाठ करके या सुन कर ,पुत्र चाहने वाला मनुष्य पुत्र प्राप्त करता है तथा कामना का इच्छुक अपनी कामना प्राप्ति में सफलता प्राप्त कर लेता है।  बंध्या स्त्री वह स्त्री जिसको संतान सुख ना मिला हो उसको पुत्र सुख प्राप्त होता है। 


क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए


जिस कन्या की शादी न हुई हो,उस कुमारी कन्या को सज्जन पति प्राप्त होता है। भोग चाहने वाला मनुष्य भोग प्राप्त करता है। विद्या चाहने वाला विद्यार्थी  विद्या,विजय प्राप्त करने वालों को विजय ,ब्रह्म हत्या से पीड़ित मनुष्य को ब्रह्म हत्या से मुक्ति प्राप्त होती है। 


इतना ही नहीं मंगल की कामना करने वाला मनुष्य अपना मंगल, गुणों का इच्छुक व्यक्ति गुण और काव्य  प्राप्त करने वाला व्यक्ति कवित्व और जीवन का सार तत्व चाहने वाला व्यक्ति सार तत्व प्राप्त करता है। ज्ञानार्थी संपूर्ण संसार का मर्दन करने वाला ज्ञान प्राप्त करता है। 


क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए


पक्षीराज गरूड के द्वारा कहा गया यह गरुड़ महापुराण धन्य है। यह पुराण तो सब का कल्याण करने वाला है।  जो मनुष्य इस महापुराण के एक भी श्लोक का पाठ करता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इसके मात्र आधे श्लोक का पाठ करने से निश्चित ही शत्रु का नाश हो जाता है। 


इसलिए यह पुराण मुख्य और शास्त्र सम्मत पुराण है।  विष्णु धर्म के प्रदर्शन में गरुड़ पुराण के समान दूसरा कोई भी पुराण नहीं है। जैसे सब देवो मे जनार्दन यानी भगवान विष्णु श्रेष्ठ है,वैसे ही पुराणों में य़ह पुराण हरि तत्व निरूपण मे मुख्य कहा गया है। 


गरूड पुराण में हरी ही प्रतिपाद्य हैं। इसलिए हरि ही नमस्कार करने योग्य है, हरि ही शरणय है और हरि ही सब प्रकार से सेवा करने योग्य है। यह गरूड पुराण बड़ा ही पवित्र और पुण्य दायक है। यह   पुराण, पाठ करने वाले एवं सुनने वाले की समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है। 


जो मनुष्य इस महापुराण का पाठ करता है या सुनता है ,वह निष्पाप होकर यमराज की भयंकर यातनाओं को तोड़कर स्वर्ग को प्राप्त करता है। 


तो मित्रों अब आप ही बताइए कि ये कैसे संभव है कि अगर कोई मनुष्य अपने जीवन काल मे इस पवित्र पुराण को हररोज पढ़ता है, तो उसके साथ कुछ गलत हो या कोई अनहोनी हो या फिर उसकी अकाल मृत्यु हो। 


साधारण लोग गरूड पुराण को पढ़ने से डरते है,क्योंकि गरुण पुराण को किसी की मृत्यु के पश्चात ही पढ़ाया जाता है। वास्तव में गरूड पुराण में किसी की मृत्यु के पश्चात होने वाली घटनाओं के बारे में वर्णन किया गया है।

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ज्यादातर लोगों ने गरुड़ पुराण को मृत्यु के बाद ही पढ़ते देखा है,इसलिए कुछ लोगों के मन मे ये डर बैठ गया है। परंतु ऐसा कुछ भी नहीं है। हमारी माने मित्रों, तो यह महज एक भ्रम है और कुछ भी नहीं। 


गरूड पुराण एक पवित्र ग्रंथ है इसलिए इसे हर जीवित व्यक्ति पढ़ सकता है। इसलिए बिना किसी भय के अगर संभव हो तो इस पवित्र पुराण का नियमित पाठ करें और अपने जीवन को खुशहाल बनाएं।  


इस महापुराण का नियमित पाठ करने से सबसे बड़ा यह लाभ यहीं है कि मनुष्य जीवन और मृत्यु के बाद होने वाले रहस्यों को बड़ी ही आसानी से समझ सकता है क्योंकि गरुड़ पुराण में मनुष्य द्वारा जीवित रहते हुए किए जाने वाले कर्मों के बारे में बताया गया है अर्थात, बताया गया है कि कौन सा कर्म अच्छा है और कौन सा कर्म बुरा।  

क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए


इसके अलावा इस पुराण में मृत्यु के बाद मिलने वाली यातनाओं के बारे में भी बताया गया है यानी यह कहा जा सकता है की पुराण में वर्णित बातों को यदि पूरी मानव जाती खुद मे आत्मसात कर ले तो एक अच्छे समाज का निर्माण किया जा सकता है। 


तो मित्रों ये थी आज की ज्ञानवर्धक पोस्ट। आशा करते हैं कि आपको पोस्ट पसंद आई होगी। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिए आप हंसते, मुस्कुराते रहिए और प्यारे प्रभु को याद करते रहिए। 


धन्यवाद  

जय जय श्री राधे कृष्ण 


FAQS  


गरूड़ की आयु कितनी है?

हिन्दू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार गरुड़ की कोई आयु नही है, क्योंकि गरूड जी को शाश्वत ( हमेशा रहने वाला) माना जाता है।


गरुड़ पुराण में पीरियड्स के बारे में क्या लिखा है?

गरुड़ पुराण को पीरियड्स मे पढ़ा जा सकता है क्योंकि गरुड़ पुराण मे प्रमुख रूप से मृत्यु, जीवनांत काल और रिवाज़ों से संबंधित विषयों के बारे मे बताया गया है। इसलिए यह ग्रंथ विशेष रूप से मासिक धर्म पर विचार नहीं करता।


क्या गरुड़ की कोई पत्नी थी?

हाँ! दोस्तों, हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ की एक पत्नी थी, जिन्हे उन्नती या श्येनी के नाम से जाना जाता है। 


गरुड़ से विवाह किसने किया?

गरुड़ से विवाह उन्नती ने किया और उनके कई संतानें थीं।


गरुड़ का भाई कौन है?

गरुड़ का भाई अरुण है, जो अक्सर सूर्य देव के रथकार ( सारथी) के रूप में दिखाई देते है। 


क्या गरुड़ पुराण घर में रखा जा सकता है?

हां, मित्रों गरुड़ पुराण को घर पर अन्य धार्मिक ग्रंथो की तरह रखा जा सकता है।


लोग गरुड़ से प्रार्थना क्यों करते हैं?

लोग गरूड से प्रार्थना शक्ति,साहस,यश,विजय और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए करते है। जिस प्रकार राम जी को प्रसन्न करने के लिए, लोग पहले हनुमान जी को पूजते है,उनसे प्रार्थना करते है। 


उसी प्रकार विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए ,उनका आशिर्वाद पाने के लिए लोग विष्णु जी से पहले गरूड की पूजा करते है,प्रार्थना करते है। क्योंकि गरूड जी भगवान विष्णु के वाहन है। जो लोग गरूड की पूजा करते है ,भगवान विष्णु उन पर जल्दी प्रसन्न हो जाते है। 


गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए?

गरुड़ पुराण पितृ पक्ष के दौरान पढ़ा जा सकता है, जो अपने पूर्वजों को समर्पित करने के लिए समर्पित होता है, या आध्यात्मिक ज्ञान की खोज के रूप में भी इसको पढ़ा जा सकता है। अर्थात यदि किसी के मन मे ज्ञान प्राप्त करने की ईच्छा हो ,तो वो इस ग्रंथ को पढ़ सकता है। 


कौन सा भगवान गरुड़ का उपयोग करता है?

भगवान विष्णु गरूड को अपने वाहन के रूप मे प्रयोग करते हैं।  


गरूड पुराण किसने सुनाया ?

गरुड़ पुराण मे ये स्पष्ट लिखा मिलता है कि इसे भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को उनके कल्याण के लिए सुनाया।


गरुड़ का पुत्र कौन है?

गरुड़ का बेटा जटायु है, जो भारतीय महाकाव्य, रामायण के प्रसिद्ध पात्र हैं। जिन्होंने सीता माता को रावण के चंगुल से बचाने के लिए अपने प्राण तक गवां दिए। 


गरुड़ पुराण में कितने पृष्ठ हैं?

गरुड़ पुराण में पृष्ठों की संख्या इसके संस्करण और अनुवाद के आधार पर भिन्न हो सकती है, लेकिन यह एक महत्त्वपूर्ण पाठ है जिसमें सैकड़ों पृष्ठ होते हैं। अनुमानित इस ग्रंथ मे 624 पृष्ठ है। 


गरुड़ साँपों को क्यों खाते हैं?

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ सांपों को खाते हैं क्योंकि उन्हें उनका प्राकृतिक शिकार माना जाता है, वे पक्षियों के राजा होने के नाते और प्राकृतिक शक्ति के प्रतीक हैं। 


इसके अलावा पौराणिक कथाओं मे यह भी बताया गया है कि सांपों की माता और उसके पुत्रों ने गरूड की माँ के साथ बुरा आचरण किया। उन्हें दासी बना कर रखा। इसलिए उनसे अपनी माँ का बदला लेने व उन्हें सबक सिखाने के लिए गरूड ने सांपों को खाना शुरू किया। 


गरुड़ की पूजा कैसे करें?

गरुड़ भगवान की पूजा करने के लिए उनके मूल मंत्र का जाप कम से कम 3 बार किया जाता है और इसे 54 बार, 108 बार या 1008 बार तक बढ़ाया जा सकता है। यदि मूर्ति ना हो तो ,गरुड़ की पूजा के लिए गरुड़ के चित्र या यंत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है। मंत्र का पूरा फल प्राप्त करने के लिए इसका जाप गरुड़ पंचमी से शुरू करके 54 दिनों तक 108 बार करना चाहिए।


गरुड़ मंत्र क्या है?

अन्य मन्त्रों की तरह गरूड मंत्र भी एक चमत्कारी मंत्र है। इस मंत्र की अपनी एक अलग विशेषता है। गरुड़ उपनिषद में लिखा गरुड़ मंत्र इस प्रकार है 

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि,

 तन्नो गरुड़ः प्रचोदयात् | 


गरुड़ कितना बड़ा था?

गरुड़ की ऊंचाई लगभग 121 मीटर  है तथा इसके पंख 65 मीटर के है। 


गरुड़ के पुत्रों का क्या नाम है? 

गरुड़ के पुत्रों के नाम इस प्रकार है (सुमुख, सुवर्ण, सुबाला, सुनामा, सुनेत्र और सुवर्चस ) इनसे पक्षियों की प्रजाति उत्पन्न हुई। इस जाति के सदस्य बहुत ही बलशाली थे।  


गरूड नर है या मादा?

गरुड़ एक नर पक्षी है।


गरुड़ की मां विनता, गरुड़ के पैदा होने का इतजार क्यों कर रही थी?

गरुड़ की मां विनता, गरुड़ के पैदा होने का इतजार खुद को ग़ुलामी से मुक्त होने के लिए कर रही थी,क्योंकि  विनता को कद्रू (सांपों की माता) ने धोखे से अपनी दासी बना लिया था। कद्रू और उसके पुत्र विनता पर अत्याचार करने लगे, लेकिन विनता फिर भी कद्रू और उसके बच्चों की सेवा करती थी । 


विनता जोकि उस समय गर्भवती थी,धैर्यपूर्वक अपने दूसरे पुत्र गरुड़ के पैदा होने की प्रतीक्षा करने लगी। क्योंकि विनता को यकीन था कि उसका पुत्र उसे दासत्व यानी ग़ुलामी से मुक्त करा देगा। 


गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद क्या होता है?

गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा का वर्णन किया गया है, जिसमें विभिन्न चरणों और लोकों से होकर गुजरना शामिल है।


गरुड़ पुराण में मृत्यु के संकेत क्या हैं?

गरुड़ पुराण में मृत्यु के संकेतों का वर्णन किया गया है, जिसमें शारीरिक कार्यों, चेतना और विभिन्न संकेतों का लुप्त होना शामिल है। यानी कि मृत्यु के नजदीक आने पर व्यक्ति की याददाश्त कमज़ोर हो जाती है, शारीरिक कमजोरी हो जाती है, भूख कम हो जाती है, दिखाई और सुनाई कम देने लगता है। 


क्या जीवित व्यक्ति को गरूड पुराण पढ़ना चाहिए


गरुड़ पुराण हिंदी में बताता है कि आत्महत्या के बाद क्या होता है?

जीवन के सात चक्र होते हैं और गरुड़ पुराण मे ये स्पष्ट लिखा है कि ,जो व्यक्ति इन सात चक्रों में से किसी एक चक्र को अधूरा छोड़ देता है,पूरा नहीं करता। उसकी अकाल मृत्यु होती है। 


गरूड पुराण मे अकाल मृत्यु को यानी आत्महत्या को भगवान का अपमान माना गया है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को आत्महत्या नहीं करनी चाहिए। आत्महत्या करने के बाद उसे कष्ट से मुक्ति नहीं मिलती ,ब्लकि उसे आत्मा बनकर पहले से भी ज्यादा कष्ट भोगना पड़ता है। 

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साधारण मृत्यु होने पर आत्मा को जल्द ही दूसरा शरीर धारण करने के लिए मिल जाता है, लेकिन जो आत्महत्या करता है, उसे कई सालों तक ,या यूँ कहें कि जब तक कि उसकी उम्र पूरी नहीं हो जाती ,तब तक उसे धरती पर ही भटकना पड़ता है। उसे ना तो स्वर्ग मिलता है और न नर्क की ही प्राप्ति होती है। 



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