जय श्री गणेशाय नमः
जय श्री राम ! प्रिय पाठकों
दोस्तों !आज हम इस पोस्ट में हनुमान जी के बारे में जानेंगे। उनके निःस्वार्थ भाव से प्रभु श्री राम जी के लिए किय गये कार्यो के बारे में। उनकी शक्तियों के बारे में। उनके बचपन के बारे में। उनकी सच्ची भक्ति के बारे मे।
प्रिय पाठकों ! हनुमाजी एक ऐसे भगवान् है जो आज भी जीवित है और धरती पर भ्रमण करते रहते है। प्रभु श्री राम जी की आज्ञानुसार वह धरती पर रहकर अपने भक्तों के कष्टों को हरते है। कलियुग में इनकी पूजा अति सर्वोत्तम है और इस हनुमान चालीसा को सच्चे मन से ,भक्ति पूर्ण भाव से पढ़ने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। उन पर हनुमान जी की कृपा बरसती रहती है। तो आइये शुरू करे आज की पूजा। पूजा शुरू करने से पहले हम जानेगे उनकी पूजा विधि के बारे में। जिससे आपको आपकी पूजा का सर्वोत्तम व पूरा फल प्राप्त हो।
पूजन सामग्री व विधि
जब साधक (पूजा करने वाला व्यक्ति ) हनुमान जी की पूजा करे तो वह शुद्ध और लाल वस्त्रों को शरीर पर धारण करे अथार्त लाल वस्त्र पहने क्योकि लाल वस्र हनुमान जी को अति प्रिय है। पूजा करते समय वह अपने मुख को पूर्व व उत्तर दिशा की ओर करके बैठे। घर में यदि मंदिर है तो ठीक है और अगर नहीं है तो कोई भी हनुमानजी का चित्र या ताम्बे और भोजपत्र पर अंकित यंत्र को सामने रख लें। पूजा करने के लिए लाल फूल ,चावल और सिंदूर का प्रयोग करें। प्रसाद के लिए बूंदी ,भुने चने , चिरौंजी दाने और नारियल का प्रयोग करें।
पूजा करते समय साधक अपने हाथ में चावल और फूल लेकर निचे लिखे इस मन्त्र से श्री हनुमान जी का मन से ध्यान करें।
मन्त्र
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं ,दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं ,रघुपति प्रियभक्तंवातजातं नमामि।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं ,जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं ,श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
इसके बाद फूल ,चावल प्रभु के चरणों में अर्पित करें और हनुमान चालीसा का पाठ करना प्रारम्भ करें और जब पाठ समाप्त हो जाये तो ॐ हनु हनु हनु हनुमते नमः मन्त्र का चंदन आदि की माला से 108 बार जप करे। सिर्फ पाठ करें तो भी पूरा ही फल प्राप्त होगा लेकिन पाठ करने के बाद जप करना अति फलदाई होता है।
हनुमान चालीसा पाठ
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुवर बिमल जसु ,जो दायक फल चारि।।
हे हनुमान जी !मैं -श्री गुरुजी महाराज के चरणकमलों की धूल को अपने मस्तक पर धारण कर व अपने मन को एकदम शीशे की तरह निर्मल करके -श्री रघुवीर जी के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ ,जो संसार में चारों फलों (अर्थ,धर्म ,काम और मोक्ष) को प्रदान करने वाला है।
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बुद्धिहीन तनु जानिके ,सुमिरों पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि ,हरहु क्लेश विकार।।
हे पवनकुमार !हे बजरंगबली !मैं आपको याद करता हूँ। हे प्रभु !आप तो जानते ही हो । कि मेरा मन और बुद्धि अत्यधिक कमज़ोर है। मुझ अज्ञानी पर कृपा कीजिए।आप मुझे शारीरिक बल ,सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे कष्टों व मेरे दोषों का अंत कीजिए।
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चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।
हे राम दुलारे श्री हनुमान जी आपकी जय हो। आप ज्ञान और गुणों के भण्डार है। हे कपीश्वर ! आपकी जय हो। तीनों लोकों (स्वर्ग लोक ,भूलोक ,पाताललोक ) में आपका यश सूर्य की किरणों की भांति फैला है।
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राम दूत अतुलित बल-धामा।
अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।।
हे पवनसुत हनुमान जी ,हे माता अंजनी के लाल !हे श्री रामदूत ! संसार में आपके समान ,दूसरा और कोई भी नहीं है।
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महाबीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
हे महावीर बजरंगबली !आप कोई साधारण वानर नहीं है। आप प्रचुर पराक्रम वाले है।आप दुर्बुद्धि को दूर करते है और अच्छी बुद्धि वालो के सहायक है।
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कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
आप रूप अत्यधिक सुंदर है। सुनहरे रंग ,सुंदर वस्त्रों ,कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित आप बड़े ही मनमोहक लगते है।
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हाथ बज्र आरु ध्वजा विराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।।
हे महाबली हनुमान जी !आपके हाथ में गदा और ध्वजा है तथा आपके काँधे पर मूँज का जनेऊ शोभित है।
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शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महाजग वंदन।।
हे शिव के अवतार और हे केसरी के लाल !आपकी अलौकिक शक्तियों और महान यश की पूरा संसार जय जय कार करता है।
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विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
हे राम भक्त ! आप बहुत बुद्धिमान है ,गुणवान है और प्रभु श्री राम जी के हर कार्य को करने के लिए बड़े उत्सुक रहते है।
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प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
हे पवनसुत ! हे राम भक्त हनुमान !आप सा बड़भागी कोई नहीं है। आप श्री राम जी की कथाये व उनके चरित्रों को सुनने में बड़ा ही आनंद लेते है।आप श्री राम जी को इतने प्रिय हो कि -वो हमेशा स्वयं ,माता सीता ,और भाई लक्ष्मण सहित आपके ह्रदय में निवास करते है।
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सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरी लंक जरावा।।
हे हनुमान जी !आपने अपनी बुद्धि का परिचय देकर माता सीता को धैर्य बंधाया। आपने अपना बहुत ही छोटा रूप सीता माँ को दिखाया तथा भयंकर रूप(विशाल रूप ) धारण करके लंका को जलाया।
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भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज सँवारे।।
हे श्री राम प्रिय हनुमान !आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचंद्रजी के कार्यो को सफल बनाने में उनका साथ दिया।
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लाये संजीवन लखन जियाये।
श्री रघुवीर हरषि उर लाये।।
हे कष्टों को दूर करने वाले महावीर बजरंगी आपकी जय हो। आपने संजीवनी बूटी लाकर राम दुलारे भाई लक्ष्मण जी को जीवन दान दिया। जिससे श्री रामजी ने खुश होकर आपको अपने गले से लगा लिया।
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रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
हे पवनसुत !हे अंजनी के लाल !आपसे खुश होकर प्रभु श्रीरामचन्द्र जी ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम बिलकुल भरत के समान मेरे प्यारे भाई हो।
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सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कही श्री पति कंठ लगावैं।।
हे पवनसुत ! आपने सबसे पहले माता सीता की खबर प्रभु श्री रामजी को दी ,जिससे उन्होंने खुश होकर आपको गले से लगा लिया और कहा कि - तुम्हारे गुणों का वर्णन हजार -मुखों से किया जाए तो भी कम हैअथार्त सराहनीय है।
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सनकादिक ब्रम्हादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
हे हनुमान जी ! पुरुष अथवा देवता -श्री सनक ,श्री सनत्कुमार आदि मुनि ,ब्रह्मा आदि देवता ,नारदजी ,सरस्वती जी ,शेषनाग जी।
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जम कुबेर दिग्पाल जहां ते।
कवि कोबिद कहि सकें कहाँ ते।
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तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
हे पवनसुत हनुमान जी !आपने सुग्रीवजी को प्रभु श्री रामजी से मिलाकर उनपर बड़ा ही उपकार किया ,जिस कारण उन्हें उनका राज्य वापस मिला और वे राजा बने।
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तुम्हरों मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
हे बजरंगबली !आपकी बातों का आपके आदेशो का विभीषण ने पूरी तरह से पालन किया ,इसी कारण से वे लंका के राजा बने और इस बात को ये सारा संसार भलीभांति जानता है।
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जुग सहस्त्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानु।।
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प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहीं।
जलधि लाँघि गए अचरज नाही।।
हे राम कार्य करने में उत्सुक महावीर हनुमान जी !आपने श्रीराम चंद्रजी की अंगूठी मुँह में रखकर समुन्द्र को पार किया और आप थके भी नहीं। परन्तु - हे हनुमान जी इसमें आपके लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
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दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
हे हनुमान जी !इस संसार में जितने भी कठिन से कठिन ,अत्यधिक मुश्किल काम है ,वे सभी आपकी कृपा से अपने आप और आसानी से हो जाते है।
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राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
हे राम भक्त हनुमान !आप श्री रामजी के द्वार की हमेशा रखवाली करते रहते हो , जहां आपकी आज्ञा के बिना कोई भी अंदर नहीं जा सकता अथार्त श्री राम जी की कृपा पाने के लिए पहले आपको खुश करना अति आवश्यक है।
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सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।l
हे केसरी नंदन ! जो भी मनुष्य आपकी शरण में आते है उन सभी को अपार आनंद और सुख प्राप्त होता है। और जब जिसके आप रक्षक है ,तो फिर उसे भला किसी और का कोई डर हो सकता है अथार्त उसे किसी प्रकार का कोई डर ,कोई भय नहीं रह जाता। हमेशा निडर रहता है।
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आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपे।।
हे बजरंगबली !आपके अलावा ,आपके गति (रफ्तार,चाल )को कोई नहीं रोक सकता। आपकी तेज आवाज से ही ये तीनो लोक काँप उठते है।
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भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै।।
हे पवनसुत ! आपका महावीर हनुमान जी आपका नाम अति प्रभावशाली है। आपके नाम को सुनने मात्र से भूत -पिशाच आदि जितनी भी बुरी आत्माएँ है ,वो सभी दूर भाग जाती है। कभी पास भी नहीं आ सकती।
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नासे रोग हरे सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
वीर हनुमान जी !प्रतिदिन आपका नाम लेने से ,जपने से सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते है और सब कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
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संकट ते हनुमान छुड़ावै।
मन कर्म वचन ध्यान जो लावै।।
हे हनुमान जी ! जो मनुष्य मन से हमेशा आपके बारे में ही सोचता रहता है और बोलने में जिनका ध्यान आप में लगा रहता है ,आप उनके सब दुःखो को दूर कर देते है।
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सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।।
हे हनुमान जी ! तपोमूर्ति प्रभु राजा श्री राम जी अत्यंत प्रिय है। आप उनके सभी कार्यों को आपने बड़ी ही आसानी से कर दिया।
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और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
हे हनुमानजी ! जिस पर आपकी कृपा हो ,वो जीवन में कोई भी इच्छा करे तो उसकी इच्छा तुरंत ही पूरी हो जाती है ,जीव (मनुष्य )जिस फल के विषय में सोचभी नहीं सकता ,वह मिल जाता है अथार्त सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
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चारों जग प्रताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
हे पवनपुत्र हनुमान !आपके यश चारों युगों (सतयुग ,त्रेता ,द्वापर तथा कलियुग ) में फैले हुए है। आपकी इस ख्याति से ,बड़ाई से ये पूरा संसार चमक रहा है।
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साधू संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दलारें।।
हे श्री राम के दुलारें ! हे हनुमान आप साधू संतों की तथा मनुष्यों की हमेशा रक्षा करते है तथा दुष्टो का अंत करते है।
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अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
हे हनुमान !हे माता अंजनी के लाल जी ! आपको माता सीता जी से ये वरदान मिला हुआ है की ,जिससे आप किसी को भी (आठों सिद्धियाँ और नौ निधियाँ )अथार्त सब प्रकार की सम्पति दे सकते है।
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राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
हे हनुमान जी !आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की सेवा में रहते है ,जिससे आपके पास वृद्धावस्था और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम -नाम रुपी औषधी है।
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तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम -जनम के दुःख बिसरावै।।
हे बजरंगबली !आपका निरंतर भजन करते रहने से श्री रामजी मिलते है ,उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे मनुष्य के जीवन से हर दुःख दूर हो जाता है अथार्त वह हमेशा खुश रहता है।
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अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म ह्री भक्त कहाई
और हे हनुमान जी ! वह मरने के बाद प्रभु श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी वे दुबारा मृत्युलोक यानी धरती पर जन्म लेंगे तो भी भक्ति ही करेंगे। वे हमेशा प्रभु श्री राम जी के भक्त कहलायेंगे।
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और न देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्ब सुख करई।।
हे हनुमान जी ! जब आपकी सेवा करने से ,पूजा करने से ,आपका नाम लेने से सब प्रकार से सुख मिलते है ,तो फिर भला किसी अन्य देवता की पूजा करने की क्या जरूरत है अथार्त किसी और देवता का ध्यान क्यों करें।
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संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै ,हनुमत बलबीरा।।
हे वीर हनुमानजी ! संकट में पड़ा कोई भी व्यक्ति यदि आपका नाम ले ,आपको याद करे ,तो उसके सब संकट कट जाते है और उसे दर्द से ,दुःख से मुक्ति मिल जाती है।
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जै जै जै हनुमान गौसाई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई।।
हे हनुमान जी ! हे केसरी नंदन आपकी जय हो ,जय हो ,जय हो। आप मुझ पर कृपालु श्री गुरूजी के समान कृपा कीजिए।
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जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा दुःख होई।।
हे प्रभु !जो भी मनुष्य आपके इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा,वह सब बंधनों से मुक्त हो जायेगा ,उसे कोई परेशानी नहीं रहेगी और उसे परम सुख प्राप्त होगा।
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जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसी दास जी से ,भगवान् शंकर ने यह चालीसा पाठ लिखवाया ,इसलिए भगवान् शंकर साक्षी है ,कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
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तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
हे प्रभु !हे हनुमान जी ! आपकी तरह तुलसीदास भी सदा ही श्री रामजी के दास है ,इसलिए आप उनके ह्रदय में निवास कीजिए।
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पवनतनय संकट हरण ,मंगलमूर्ति रूप।
राम लखन सीता सहित ह्रदय बसहु सुर भूप।।
हे संकटमोचन हनुमान जी !हे पवन कुमार ! आप आनंद मंगलों के स्वरुप है,आनंद प्रदान करने वाले है ,सभी सुख देने वाले है। हे प्रभु ! हे देवराज ! आप मेरी भूल क्षमा करें और आप श्री राम ,सीताजी और लक्ष्मण सहित मेरे ह्रदय में निवास कीजिए।
प्रिय पाठकों !आशा करते है कि आपको पोस्ट पसंद आई होगी और प्रार्थना करते है की श्री हनुमान जी आपके सभी कष्टों को दूर करें। उनका आशीर्वाद आप पर बना रहें।
धन्यवाद।
इस पोस्ट में आपने पाया -
पूजन व सामग्री
मन्त्र
हनुमान चालीसा पाठ
दोहा
चौपाई
So beautiful 👌🙏🙏
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