हर-हर महादेव ! प्रिय पाठकों
भगवान् शिव का आशीर्वाद आप सभी को प्राप्त हो।
इससे पहले कि हम भोलेनाथ की अदभुत गुफा के बारे मे जाने.. आप सभी का हमारी वेबसाइट विश्वज्ञान पर बहुत-बहुत स्वागत है। दोस्तों! आज हम आपको भगवान शिव की एक ऐसी गुफा के बारे में बताएंगे -
जहां कलियुग के अंत का रहस्य छिपा है।एक ऐसी गुफा जहाँ सचमुच ऐसा एहसास होता है की जैसे भगवान् शिव हमारे आस -पास है। इस गुफा की सुंदरता बहुत ही अतुलनीय है। जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। बहुत ही अद्भुत , बहुत ही रहस्य्मयी।
इस पोस्ट में आप पाएंगे -
नोट
यह गुफा कहाँ है?और, यहाँ क्या छुपा है ?
नोट -प्रिय पाठकों! हमारे अपने शास्त्रों में बहुत से राज़ छुपे है और राज़ ही क्या मनुष्य के हर परेशानी व उनके हर प्रश्नों के जवाब भी मौजूद है।बस जरूरत है इन्हे पढ़ने की,समझने की और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात शास्त्रों पर भरोसा करने की।क्योकि बहुत से ऐसे लोग है जो शास्त्रों पर भरोसा ही नही करते,मानते ही नहीं और तर्क-वितर्क करने लगते है।
पर दोस्तो!वास्तव मे ऐसा नहीं है।हमारा तो केवल इतना ही कहना है की हर मनुष्य चाहे वो कोई भी हो,किसी भी जाति,धर्म से हो ।उसे अपने धर्म और धर्म शास्त्रों मे अटूट विश्वास होना चाहिए।कहते है न-की मानो तो भगवान और न मानो तो पत्थर।
तो चलिए प्रिय पाठकों अब बिना देरी किए पढ्ना शुरु करते है।
यह गुफा कहाँ है?और, यहाँ क्या छुपा है ?
दोस्तों! आइये पढ़ते है यह गुफा कैसी है ? गुफा कहाँ है?और, यहाँ ऐसा क्या छुपा है जो कलियुग के रहस्य को दर्शाता है ?
स्कंदपुराण हमें पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में बताते हैं जो उत्तराखंड के कुमाओ मंडल के गंगोली हाट गांव में स्थित है।
लोग इस गुफा को भगवान शिव का निवास स्थान कहते हैं। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सभी भक्त यहां भगवान शिव की आराधना के लिए पहुंचते हैं। ये गुफा पहाड़ से करीब 90 फीट अंदर कहीं है। यह गुफा गंगोली घाट में है, जो अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए उत्तराखंड कुमाऊं से 160 किलोमीटर दूर है।
पाताल भुवनेश्वर गुफा अतुल्य और चमत्कारी है। कलियुग के अंत और प्रकृति की संरचना के बारे में सारी जानकारी आपको यहाँ इस गुफा से प्राप्त हो जायेगी। इस गुफा के हर शिल्प की अपनी रहस्यमयी कहानी है।
इस गुफा के मुख्य द्वार से 80 फिसलन भरी सीढ़ियों के बाद युगों-युगों के इतिहास की एक दुनिया एक साथ आपके सामने आती है ।इस गुफा में पत्थरों की संरचनाएं-
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आपको देश की आध्यात्मिक ऊंचाई के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती हैं। गुफा के अंदर देवताओं और शेषनाग की एक आकृति हर जगह परिलक्षित होती है। गुफा के आरंभ में शेषनाग सिर की आकृति पत्थरों में प्रतिबिम्बित होती है।ऐसा कहा जाता है कि इस पर धरती है।
इस गुफा में चार स्तंभ हैं।
जो लगभग चार युगों को दर्शाते हैं। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। उनमें से तीन स्तंभ आकार में समान हैं।लेकिन कलयुग का चौथा स्तम्भ बाकी तीनो स्तम्भों से बड़ा है। खम्भे के ऊपर छत से नीचे एक पत्थर लटका हुआ है।खम्भे और पत्थर के बीच की दूरी बहुत कम है।
ऋषियों के अनुसार कलयुग का स्तम्भ हर 70 लाख साल बाद 1 इंच बढ़ता है। सब मानते हैं - जब भी यह चौथा स्तंभ लटके हुए पत्थर को छूएगा दुनिया में तबाही मच जाएगी और कलयुग का युग समाप्त हो जाएगा।
सबसे पहले त्रेता युग में राजा रितु योग ने इस गुफा को पाया।द्वापरयुग में यहां पांडवों ने चॉपल खेला और सन् 1833 ई. के आसपास कलयुग में इसी गुफा से ऋषि शंकराचार्य का जन्म हुआ था।
उन्होंने यहां तांबे के शिवलिंग की स्थापना की। बाद में राजा को इस गुफा के बारे में जानकारी मिली। आज दुनिया भर से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं और जब वे लोग इस गुफा की पूरी संरचना को देखते हैं, तो वे चकित रह जाते हैं।
दोस्तों ये दुनिया की इकलौती ऐसी जगह है ,जहां सारे युग एक साथ नजर आते हैं।जहां एक तरफ शिव के बालों से गंगा बह रही है, तो वहीं दूसरी तरफ अमृत कुंड भी है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वर्ग का रास्ता भी यहीं से शुरू होता है।
इस गुफा की सुंदरता और भव्यता को तो गुफा पर जाकर ही देखा जा सकता है।
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आशा करते है कि-आपकोआज की ये पोस्ट पसंद आई होगी। इसी के साथ अपनी वाणी को देते है आशुतोष भगवान शिव आप सभी का कल्याण करें।आपकी हर मनोकामनाएँ पूर्ण करे।विश्वज्ञान मे अगली पोस्ट के साथ मुलाक़ात होगी।
यदि आपको कोई शिकायत या कोई विचार है तो कृपया विवरण बॉक्स में उल्लेख करें।
धन्यवाद।