गरुड़ पुराण के अनुसार गर्भधारण के समय माता पिता के भाव के अनुसार उनके आसपास एक सूक्ष्म स्पंदन स्तर वाला क्षेत्र बन जाता है। ये क्षेत्र ऐसी आत्मा को आकर्षित करता है जिसका स्तर उससे मिलता जुलता हो। जिस आत्मा का स्पंदन स्तर उस आत्मा से मिलेगा वही उसकी ओर आकर्षित होगी। आकर्षित आत्मा मां के गर्भ के आ5सपास मंडराती रहती है ।आनुवांशिक प्रक्रिया....
हर-हर महादेव! प्रिय पाठकों
भोलेनाथ का आशीर्वाद आप सभी को प्राप्त हो।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ?
दोस्तों! जैसा की आप जानते हैं बहुत सी ऐसी अध्यात्मिक धाराएं हैं। जो एक ऐसे अस्तित्व की बात करती हैं जो हमारे अंदर निहित है ।जिसे प्राणशक्ति,आत्मा,रूह या आप मन भी कहते हैं। वैज्ञानिकों और दार्शनिकों ने हमेशा इसके अस्तित्व पर सवालn उठाया है।
यही नहीं रहस्यविद रहित और ऋषियों के ज्ञान पर भी पहले कई बार प्रश्न उठाए गए हैं। जिसे फिर सत्य के बहुत करीब जाना गया। अतः यदि हम यह मान ले कि आत्मा का अस्तित्व होता है तो वह मानव रूप में कैसे बाहर होगा ।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
दोस्तों इन सभी को संकलित कर एक प्रश्न का निर्माण होता है कि मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है। इस प्रश्न का उत्तर हमें अठारह पुराणों में से एक गरुड़ महापुराण में मिलता है। आइए आपको बताते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार आत्मा शरीर में कैसे प्रवेश करती हैं।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
प्रिय पाठकों- स्वागत है आपका विश्वज्ञान मे। दोस्तों गरूड़ पुराण में जन्म ,मरण ,पाप- पुण्य आदि अनेक विषयों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
मौत के बाद क्या होता है आत्मा के साथ ?मृत्यु के बाद यमलोक पहुंचने में कितने दिन लगते है ?
गरुड़ पुराण में इससे संबंधित श्लोक भी हमें पढ़ने और सुनने को मिलते हैं तथा हिंदू धर्म में किसी की मृत्यु हो जाने के उपरांत गरुड़ पुराण का श्रवण किया जाता है। तो वहीं दूसरी तरफ गरुड़ पुराण में इस बात की भी व्याख्या की गई है कि मृत्यु के बाद जिस आत्मा या जीव को फिर से धरती पर जन्म लेना पड़ता है तो वह आत्मा मां के पेट में कैसे प्रवेश करती है अर्थात आत्मा शरीर में कैसे प्रवेश करती है इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
गरुड़ पुराण के अनुसार गर्भधारण के समय माता पिता के भाव के अनुसार उनके आसपास एक सूक्ष्म स्पंदन स्तर वाला क्षेत्र बन जाता है। ये क्षेत्र ऐसी आत्मा को आकर्षित करता है जिसका स्तर उससे मिलता जुलता हो। जिस आत्मा का स्पंदन स्तर उस आत्मा से मिलेगा वही उसकी ओर आकर्षित होगी। आकर्षित आत्मा मां के गर्भ के आसपास मंडराती रहती है ।आनुवांशिक प्रक्रिया तो शुरू हो जाती है लेकिन गर्भ के आसपास रहने से ये आत्मा अब महत्वपूर्ण हो जाती है और वह अपना बल लगाना शुरु कर देती है।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
यह आत्मा अब जिव कोशो के विभाजन की गति को बढ़ा देती हैं।इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण अंग जिसका गठन होता है।वह हृदय है और इसके पश्चात ह्रदय से बाकी के अंगों को पोषण मिलने लगता है ।योगिक विज्ञान के अनुसार भौतिक शरीर के साथ - साथ आध्यात्मिक शरीर का भी विकास होता है और प्राणशक्ति अर्थात आत्मा के बहाव के लिए एक संचार का मार्ग उत्पन्न होता है। जहां ऐसे कई सारे मार्ग मिलते हैं वहां ऊर्जा का भंवर बन जाता है अध्यात्म में इन्हे चक्र और बिंदु कहते हैं।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
हालांकि बहुत सी ऐसी योगिक परंपराओं में इन्हे 7 महत्वपूर्ण चक्रों के रूप में जाना जाता है। जो इस प्रकार है -मूलाधार, स्वाधिसटान ,अनाहत ,मणिपूरक ,विशुद्धि ,आज्ञा और सह्स्त्रार। जब भूर्ण तैयार हो जाता है और उसमे सिर का गठन भली-भांति हो जाता है तो इसके पश्चात जैसे ही ब्रह्मरंध्र का सृजन होता है ।
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दोस्तो आपकी जानकारी के लिय आपको बताये कि जो सिर्फ सिर का पश्चिम्पाल क्षेत्र है। इसे अध्यात्म के अनुसार सात चक्रों में से सहस्रार चक्र और 12वाँ बिंदु माना गया है ।जिस क्षण ब्रह्मरंध्र पूरी तरह सृजित हो जाता है तो आत्मा उसी 12वें बिंदु से प्रवेश करती है और यह भूर्ण के विकसित होने के 3 माह के अंतर्गत ही होता है ।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि आत्मा शरीर में 3 महीने से पहले प्रवेश क्यों नहीं करती ? यदि आप इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं ।मुख्य्ता आध्यात्मिक यात्रा को बिंदुओं और चक्रो में अंत: ,अंतःकरण के फैलाव के रूप में वर्णित किया जाता है ।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
दोस्तों! आत्मा का वास हृदय में होता है। यही वो स्थान है जहां आत्मा रहती है और हृदय के माध्यम से ही वह हमारे तंत्र की सभी चक्रों और साथ ही सभी आयामों तक पहुंचती है जिनका हम अनुभव नहीं कर पाते हमें बहुत से भौतिक और सूक्ष्म आयामों को तय करना होता है। जब हमारी यात्रा हृदय से शुरू होती है तो उसका अर्थ है कि अब आत्मा की ऊर्जा ऊपर की तरफ चलने लगी है ।वह आत्मा जो हमारे हृदय में रहती है वहीं से उर्जा बिना किसी बाधा के सारे चक्रों तक पहुंचती है ।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
यदि आपके घर में कोई नवजात शिशु है तो आप देखेंगे कि शिशु के कपाल (सिर) का एक विशेष हिस्सा पूर्ण रुप से नहीं बना है। आप यह तो जानते ही होंगे कि बच्चे के सिर को थोड़ा बचाना पड़ता है क्योंकि वहां हड्डी नहीं होती। यह वह स्थान है जहां हड्डी तब तक नहीं बनती जब तक कि शिशु एक निश्चित उम्र तक नहीं बढ़ता। योगिक शब्दावली में यह भाग ब्रह्मरंध्र कहलाता है । रंध्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता हैं एक मार्ग । जैसे छोटा छेद या सुरंग।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
यह शरीर में वह स्थान है जिसके माध्यम से जीवन भूर्ण में उतरता है क्योंकि जीवन भूर्ण में आ गया है और जीवन अपने विकल्पों को खुला रखता है । क्या यह शरीर उसे कायम रखने में सक्षम है भी या नहीं ।जीवन प्रक्रिया में अपने विकल्पों को खुला रखने की इतनी जागरुकता होती है कि क्या यह शरीर से बनाए रखने में सक्षम है या नहीं ।तो दोस्तों! यह एक निश्चित अवधि के लिए उस जाल को खुला रखता है ताकि अगर वह अपने अस्तित्व के लिए शरीर को अनुपयुक्त पाता तो वह शरीर छोड़ देगा और शरीर से किसी अन्य मार्ग में नहीं जाना चाहता है यह वही से शरीर छोड़ना चाहता है जहां से आया होता हैं।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
वास्तविक जिन्दगी मे आपने देखा होगा कि मेहमान हमेशा सामने के दरवाजे से ही होकर अन्दर आते है और सामने के दरवाजे से ही बाहर जाते हैं। यदि वह सामने के दरवाजे से होकर आते है और पीछे की ओर से निकल जाते है तो इसका मतलब है कि आपका घर साफ हो गया है ।यहां तक कि जब आप एक दिन शरीर छोड़ते हैं तो यदि आप सचेत रूप से शरीर के किसी भी हिस्से से निकलते हैं तो यह ठीक है लेकिन अगर आप ब्रह्मरंध्र के माध्यम से शरीर छोड़ सकते हैं तो यह शरीर छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका होगा ।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
यदि आप चिकित्सा विभाग(डॉक्टर की बात) से संबंधित है तो आप निश्चित रूप से हमारी बात समझ पाएंगे।ऐसा आपने भी कई बार देखा होगा कि सभी चिकित्सा मापदंडों के अनुसार भूर्ण स्वस्थ है और सब कुछ ठीक परंतु फिर भी किसी कारणवश एक मृत शिशु ने जन्म लिया।ऐसा क्यों हुआ ?इसका यही कारण है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भूर्ण अभी भी भीतर का जीवन चुन रहा है ।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
यदि जीवन में भूर्ण प्रवेश करता है और उसे अनुपयुक्त पाता है क्योंकि वह शिशु बनने के लिए विकसित होता है तो वह निकल जाता है इसीलिए एक द्वार खुला रखा जाता है । यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में एक गर्भवती महिला के चारों और एक अलग तरह का वातावरण बनाने के लिए कई सावधानियां बरती गई ।हम आजकल यह सब खो रहे हैं ।लेकिन यह इस उम्मीद से किया जाता है कि जो भी आपके घर में आता है वह आप दोनों से कहीं बेहतर हो इसलिए गर्भवती महिला को एक निश्चित अवस्था में रखा जाता है।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
सही प्रकार की अगरबत्ती ध्वनियों और खाद्य पदार्थों के साथ ,सब कुछ किया जाता है ताकि उसका शरीर एक ऐसी अवस्था में हो जो सही तरह के प्राणी को निमंत्रण दे। भ्रमरंध्र के बारे में बहुत सी बातें होती हैं और इसके बारे में कई किताबें भी लिखी गई हैं और उन्हीं से जुड़ा एक ये तथ्य भी सामने आता है कि कई लोग अपने सिर के ऊपर या माथे के बीच में चीजों की कल्पना करना शुरू कर देते हैं। वह हमेशा कई प्रकार की कल्पना करते रहते हैं।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
आपको यह समझने की आवश्यकता है कि आप जहां भी मन को केंद्रित करते हैं। वहां कुछ हलचल अवश्य होगी । इसे आप इस प्रकार समझ सकते हैं। जैसे-शरीर के जिस भाग पर आप ध्यान केंद्रित करेंगे उस हिस्से में आप कुछ सनसनी महसूस करेंगे ।
मनुष्यों को पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता / PICHLA JANAM YAAD KYON NHI REHTA
शरीर में 114 चक्र है जिनमें से अंतिम दो चक्र शरीर के बाहर स्थित होते है।यदि आपकी भौतिकता से परे एक आयाम आपके भीतर एक निरंतर सक्रिय प्रक्रिय बन जाता है। तो कुछ समय बाद यह दो चक्र जो आमतौर पर सक्रिय नहीं होते हैं सक्रिय हो जाते हैं ।
यदि वे सक्रिय हो जाते हैं तो आपके सिर पर एक एंटीना होता है जो आपके जीवन को एक निश्चित दृष्टिकोण देता है। इसी के साथ हम आपको यह भी बता दे कि आत्मा के तीन रूप माने गए हैं जीव आत्मा, प्रेत आत्मा और सूक्ष्म आत्मा । जब आत्मा का वास भौतिक शरीर में होता है तो इसे जीव आत्मा कहते हैं और जब उसके मन में वासना और कामना आती है तो उसे प्रेत आत्मा कहा जाता है।
मानव शरीर में आत्मा या प्राणशक्ति कैसे प्रवेश करती है ? |
जब यही आत्मा सूक्ष्म रूप से शरीर में प्रवेश करती है तो इसे सूक्ष्म आत्मा कहते हैं ।तो प्रिय पाठकों ये थी आज की जानकारी ।आपको ये जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और यदि इसके अलावा कोई भी प्रश्न आपके मन में आ रहा हो तो उसे भी आप कमेंट बॉक्स में मेंशन कर सकते हैं।
इसी के साथ आपके जीवन कि मंगलकामना करते हुए आपसे विदा लेते हैं।
धन्यवाद