maa bagulamukhi history बगलामुखी माँ का इतिहास

माँ बगलामुखी को बहुत कम लोग जानते है। वास्तव में ये माता अपने आप में एक अलौकिक शक्तियों से भरपूर है। इनका स्वरुप ,इनका स्वभाव और इनकी पहचान सबसे अलग है। दस महाविद्या होती है जिनमे से हमारी इन प्यारी महाविद्या बगलामुखी माता का स्थान 8....

  जय श्री हरि -प्रिय पाठकों 

दोस्तों आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की माँ बगलामुखी कौन है ,कैसा उनका स्वरुप है अतः उनकी शक्तियो आदि के बारे मे। 

इस पोस्ट में आप पाएंगे 

माँ का नाम बगलामुखी ही क्यों पड़ा। 

माँ बगलामुखी का सम्प्रदाय 

माँ का प्रकट स्थान व मंदिर (शक्तिपीठ )

माँ का प्रिय रंग 

माँ बगलामुखी का स्वरुप 

माँ बगलामुखी का स्वभाव 

माँ बगलामुखी की पूजा का फल 

ध्यान रखने योग्य बाते 

हमारा उद्देश्य 

श्री बगलामुख्यष्टोत्तरशतनामावलिः 

श्री पीताम्बरी माँ की आरती 

maa bagulamukhi history /बगलामुखी माँ का इतिहास 

maa bagulamukhi history बगलामुखी माँ का इतिहास
maa bagulamukhi history बगलामुखी माँ का इतिहास 


माँ बगलामुखी को बहुत कम लोग जानते है। वास्तव में ये माता अपने आप में एक अलौकिक शक्तियों से भरपूर है। इनका स्वरुप ,इनका स्वभाव और इनकी पहचान सबसे अलग है। दस महाविद्या होती है जिनमे से हमारी इन प्यारी महाविद्या बगलामुखी माता का स्थान 8 वें नंबर पर आता है। 

आज हम इन्ही के बारे में चर्चा करेंगे। जीवन में आने वाले संकट ,भूत प्रेत तथा शत्रुओं पर विजय पाने के लिए माँ बगलामुखी की पूजा की जाती है। इनकी आराधना करने वाले मनुष्यों को किसी भी प्रकार का भय नहीं रह जाता। 

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माँ का नाम बगलामुखी ही क्यों पड़ा। आइये जाने  

दोस्तों ! वास्तव में माँ का ये नाम संस्कृत भाषा से सम्बन्ध रखता है। कुब्जिका तंत्र पुस्तक में माँ के इस नाम का पूर्ण विस्तार है पर फिर भी हम आपको संक्षेप में बताते है। बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है। जिसका अर्थ है दुल्हन। हमारी माँ बगलामुखी का स्वरुप किसी दुल्हन से कम नहीं है। 

बगुला शब्द का पहला अक्षर ब है - जो वारुणी का प्रतिक है ,दुसरा अक्षर है ग -जो सिद्धिदा का प्रतिक है तथा तीसरा अक्षर ला है -जो पृथ्वी का प्रतिक है। अथार्त माँ के अंदर मौजूद अनेक प्रकार की अलौकिक शक्तियाँ ,सुंदरता व स्वभाव के कारण ही माँ का नाम बगला मुखी पड़ा। 

माँ बगलामुखी का सम्प्रदाय 

दोस्तों !माँ बगलामुखी वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखती है। वैसे तो माँ सात्विक गुणों से भरपूर है पर कई परिस्थितियां ऐसी होती है जहां माँ तामसी गुणों को भी अपनाती है। इसका कारण है की अधिकतर तांत्रिक लोग ही माँ की पूजा वंदना करते है। अनेक प्रकार की बलिया आदि चढ़ाते है। जिन्हे माँ भक्तों की भावनाओ के तौर अपनाती है। 

माँ का प्रकट स्थान व शक्तिपीठ 

maa bagulamukhi history बगलामुखी माँ का इतिहास
 maa bagulamukhi history बगलामुखी माँ का इतिहास 


माँ बगलामुखी गुजरात के सौराष्ट्र में प्रकट हुई। माँ के तीन प्राचीन व विख्यात मंदिर(शक्तिपीठ ) है जो मध्यप्रदेश के दतिया में है दूसरा मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेड़ा जिला शाजापुर में है तथा तीसरा मंदिर हिमाचल के कांगड़ा में है। यह बहुत विख्यात मंदिर है। यहाँ देश -विदेश से अनेको शाक्त तथा शैव मार्गी साधू -संत तांत्रिक पूजा पाठ करने के लिए आते है। 

माँ का प्रिय रंग 

दोस्तों ! माँ पीले जल में से प्रकट हुई। इसलिए माँ को पीला रंग बहुत ही ज्यादा प्रिय है। पीले फूल , पीले फल ,पीले वस्त्र इन्हे इतने अच्छे लगते है।कि ये स्वयं भी पीले वस्त्रो से सुशोभित रहती है। जैसे माँ पीले वस्त्र धारण (पहनती ) करती है। पीले आभूषण पहनती है। जो भी भक्त माँ की पीले फूल ,फल ,वस्त्र और नारियल आदि से पूजा अर्चना करता है ,माँ उन पर बहुत प्रसन्न होती है। उन्हें मनचाहा फल देती है। 

माँ बगलामुखी का स्वरुप 

पीले जल से प्रकट हुई माँ बगलामुखी समुन्द्र के बीचोबीच रहती है। पीले रंग व रत्नो से जड़ा हुआ माँ का सिंहासन है। माँ की तीन आँखे है। उनके माथे पर आधा चन्द्रमा सुशोभित है। पीले रंग की चूड़ियाँ पहने हुए ,पीले वस्त्र धारण किय हुए ,पीले फूलों की माला व आभूषण पहने हुए माँ ऐसी लगती  है जैसे बसंत ऋतू की बहार। माँ का एक नाम पीतांबरा भी है। बहुत ही दिव्य अलौकिक सुंदरता  है माँ की। जो एक बार माँ के दर्शन कर ले तो बस उन्हें देखता ही रह जाये। इतनी मोहिनी मूरत है माँ की। 

माँ बगलामुखी का स्वभाव 

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माँ बगलामुखी जितनी सुंदर व कोमल ह्रदय की है ,उतनी ही क्रोधित भी है। शत्रु और राक्षस इन्हे देखते ही डर के मारे भाग जाते है। कई बार तो माँ इतनी क्रोधित होती है की वो शत्रुओं को मार कर उन्हें अपना आसन बना लेती है। ये शत्रुओ व राक्षसो की जीभ पकड़ कर बाहर खीच लेती है व उन पर गदे  से प्रहार करती है। 

माँ बगलामुखी की पूजा का फल 

माँ की पूजा भक्त वाक् शक्ति व शत्रुओ पर विजय पाने  के लिए करते है। कहते है जब महाभारत का युद्ध हुआ तब भगवान् श्री कृष्ण व अर्जुन ने युद्ध में जाने से पहले माँ बगलामुखी की पूजा की थी। जिससे उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त हुई। 

शत्रुओ पर विजय पाने के लिए इनकी पूजा बहुत फल दाई है। इनकी पूजा धरती के मनुष्य  ही नहीं ,भगवान् भी करते है। सबसे पहले इनकी पूजा ब्रहम्मा जी ने की ,फिर विष्णु जी ने और फिर इनकी पूजा करने वाले तीसरे भक्त थे ,भगवान् परशुराम जी। 

धयान रखने योग्य बातें 

माँ बगलामुखी की पूजा बहुत ही ध्यान पूर्वक करनी चाहिए। इनकी पूजा के नियम बड़े कठिन होते है ,इसलिए बिना जानकारी के इनकी पूजा नहीं करनी चाहिए।  इनकी पूजा करते समय तन की शुद्धता ,पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए। जो लोग तांत्रिक पूजा पाठ आदि करते है ,जिनको यदि सही तरिके से न किया जाये तो फायदे की जगह नुकसान सहना पड़ता है। 

चर्पटपञ्चरिकास्तोत्र हिंदी में 

इसलिए किसी अच्छे साधू - संत व तांत्रिक आदि से ही पूजा करवानी चाहिए।लोग तो यहां तक भी कहते है की माँ झूठ बोलने वालो की जीभ को खीच लेती है व उन्हें गूँगा बना देती है। अब इस बारे में कितनी सच्चाई है ,ये तो हमे नहीं पता। सही बात तो माँ के दर्शनों से ही मिलेगी। 

हमारा उद्देश्य 

दोस्तों ! हमारा उद्देश्य है आप तक सही बात पहुँचाना। इसलिए हमने जितना शास्त्रों में पढ़ा है व पूर्वजो से सुना है। वही आप तक पहुंचाया है आशा है आपको जानकारी पसंद आई होगी। आप हमसे अपनी सोच प्रकट कर सकते है। और यदि आपको कोई भी किसी भी प्रकार की शंका हो तो आप हमे बता सकते है। हमारे पास यदि उसका उत्तर होगा तो हम जवाब अवश्य देंगे। 

श्री बगलामुख्यष्टोत्तरशतनामावलिः   

विनियोगः  

अस्य श्रीपीताम्बरर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रस्य सदाशिवऋषिः अनुष्टुप्छन्दः  श्री पीताम्बरीदेवता श्री पीताम्बरीप्रीतये जपे विनियोगः। 

ध्यानम 

मध्येसुधाब्धिमणिमण्डपरत्नवेदी सिंहासनोपरिगतामपरिपीतवर्णानां। 

पीतांबराभरणमाल्यविभूषितांगीं देवीननमामिधृतमुद्गरवैरिजिह्वां।।

जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं वामेन शत्रुन परिपीडयन्तीम। 

गदभिघातेन च दक्षिणेन पिताबराढ्यानद्वीजभुजाननमामि।।

ॐ बगलायै नमः 

ॐ विष्णुवनितायै नमः 

ॐ विष्णुशंकरभामिन्यै नमः 

ॐ बहुलायै नमः 

ॐ वेदमात्रे नमः 

ॐ महाविष्णुप्रसवै नमः 

ॐ महामत्स्यायै नमः 

ॐ महाकुर्म्मायै नमः 

ॐ महावाराहरूपिण्यै नमः 

ॐ नरसिंहप्रियायै नमः 

ॐ रम्यायै नमः

ॐ वामनायै नमः 

ॐ बटुरूपिण्यै नमः 

ॐ जामदग्न्यस्वरूपायै नमः 

ॐ रामायै नमः 

ॐ रामप्रपूजियतायै नमः 

ॐ कृष्णायै नमः 

ॐ कपर्दिन्यै नमः 

ॐ कृत्यायै नमः 

ॐ कलहायै नमः 

ॐ कलविकारिण्यै नमः 

ॐ बुद्धिरूपायै नमः 

ॐ बुधभार्यायै नमः 

ॐ बोधपाखण्डखण्डिन्यै नमः 

ॐ कल्किरुपायै नमः 

ॐ कलिहरायै नमः 

ॐ कलिदुर्गगतिनाशिन्यै नमः 

ॐ कोटिकंदरप्पमोहिन्यै नमः 

ॐ केवलायै नमः 

ॐ कठिनायै नमः 

ॐ काल्यै नमः 

ॐ कलायै नमः 

ॐ कैवल्यदायिन्यै नमः 

ॐ केशवाराध्यायै नमः 

ॐ रुद्ररूपायै नमः 

ॐ रुद्रमूर्त्यै नमः 

ॐ रुद्राण्यै नमः 

ॐ रुद्रदेवतायै नमः 

ॐ नक्षत्ररुपायै नमः 

ॐ नक्षत्रायै नमः 

ॐ नक्षत्रेशप्रपूजितायै नमः 

ॐ नित्यायै नमः 

ॐ नक्षत्रपतिवन्दितायै नमः 

ॐ नागिन्यै नमः 

ॐ नागजनन्यै नमः 

ॐ नागराजप्रवन्दितायै नमः 

ॐ नागेश्वर्यै नमः 

ॐ नागकन्यायै नमः 

ॐ नागेरयै नमः 

ॐ नगात्मजायै नमः 

ॐ नगाधिराजतनयायै नमः 

ॐ  नगराजप्रपूजितायै नमः 

ॐ नविनायै नमः 

ॐ नीरदायै  नमः 

ॐ पीतायै नमः 

ॐ श्यामायै नमः 

ॐ सौन्दर्यकारिण्यै नमः 

ॐ रक्तायै नमः 

ॐ नीलायै नमः 

ॐ घनायै नमः 

ॐ शुभरायै नमः 

ॐ स्वेतायै नमः 

ॐ सौभाग्यदायिन्यै नमः 

ॐ सुन्दर्यै नमः 

ॐ सौभगायै नमः 

ॐ सौम्यायै नमः 

ॐ स्वर्णनाभायै नमः 

ॐ स्वग्रतिप्रदायै नमः 

ॐ रिपुत्रासगयै नमः 

ॐ रेखाशत्रुसंहारकारिण्यै नमः 

ॐ भामिन्यै नमः 

ॐ मायायै नमः 

ॐ स्तम्भिन्यै नमः 

ॐ मोहिन्यै नमः 

ॐ शुभायै नमः 

ॐ रागद्वेषकरयै नमः 

ॐ रात्र्यै नमः 

ॐ रौरवन्ध्वंसकारिण्यै नमः 

ॐ याक्षिण्यै नमः 

ॐ सिद्धनिवहायै नमः 

ॐ सिद्धेशायै नमः 

ॐ सिद्धिरूपिण्यै नमः 

ॐ लंकपतिध्वंसकरयै नमः 

ॐ लंकेशरिपूवन्दितायै नमः 

ॐ लंकनाथकुल्हरायै नमः 

ॐ महारावणहारिण्यै नमः  

ॐ देवदानवसिद्धौघपूजितायै नमः 

ॐ परमेश्वर्यै नमः 

ॐ पराणुरूपायै नमः 

ॐ परमायै नमः 

ॐ परतन्त्रविनाशिन्यै नमः 

ॐ वरदायै नमः 

ॐ वरदाराध्यायै नमः 

ॐ वरदानपरायणायै नमः 

ॐ वरदेशप्रियायै नमः 

ॐ विरायै नमः 

ॐ वीरभूपणभूषितायै नमः 

ॐ वसुदायै नमः 

ॐ बहुदायै नमः 

ॐ वाण्यै नमः 

ॐ ब्रह्मरूपायै नमः 

ॐ वरान्नायै नमः 

ॐ ॐ बलदायै नमः 

ॐ पीतवसनायै नमः 

ॐ पीतभूषणभूषितायै नमः 

ॐ पीतपुष्पप्रियायै नमः 

ॐ पीतस्वरूपिण्यै नमः 

** श्रीबगलामुखीशतनामावलि सम्पूर्णम **


श्री पीतांबर माँ की आरती 

जय जय जय पीतांबरी माता। 

जय जय जय शत्रु भी त्राता। 

हम सब गाये तेरी आरती 

ओ मईया हम सब गाये तेरी आरती।।


पीत वस्र है ,पीत भोग है , पीत है तुझको प्यारा। 

पीत रंग की पहने चूड़ियाँ ,पीत रंग है न्यारा।।

माता तू है सर्व मनभाविनि। 

हम सब गाये तेरी आरती। 

ओ मईया ,हम सब गाये तेरी आरती।।


तू ही शारदा ,तू ही भवानी ,तू ही लक्ष्मी माता। 

दास तेरे है देवी-देवता ,हे !जग की भाग्यविधाता।।

तू है जग सवांरती। 

हम सब गाये तेरी आरती। 

ओ मईया हम सब गाये तेरी आरती।।


आधिव्याधि भूतपिशाचनी सबको तू है भगाती। 

मनोकामना पूर्ण करती ,शत्रु -भय को मिटाती।।

माता तू है भयनाशिनी। 

पीताम्बरी हम सब गाये तेरी आरती। 

ओ मईया हम सब गाये तेरी आरती।।


दतिया तेरा भवन निराला माता औघड़दानी। 

बनखंडी तेरा भवन निराला माता औघड़दानी।।

हाथ है तेरे मुद्गर माता षोडशदलपीठ निवासिनी। 

माता तू है कृपादायनी।।

पीताम्बरी हम सब गाये तेरी आरती। 

ओ मईया हम सब गाये तेरी आरती।।


ऋषि -मुनि ,सब आरती उतारे ,चरणों में तेरे सिर झुकाते। 

चरण योगी है दास तुम्हारे ,दे दो भक्ति माँ फलदायनी।।

पीताम्बरी हम सब गाये तेरी आरती। 

ओ मईया हम सब गाये तेरी आरती।।


जय जय जय पीताम्बरी माता। 

जय जय जय शत्रु भय त्राता।।

हम सब गाये तेरी आरती। 

ओ मईया हम सब गाये तेरी आरती।।

पीताम्बरी हम सब गाये तेरी आरती।।

हम सब गाये तेरी आरती। 

हम सब गाये तेरी आरती। 

ओ मईया हम सब गाये तेरी आरती।।

**श्री पीताम्बरी माँ की आरती सम्पूर्णम**

प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट। अपनी राय अवश्य प्रकट करें ।ऐसी ही रोचक कहानियों के साथ vishvagyaan मे फिर से मुलाकात होगी। तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखें, हंसते रहिए,मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए। धन्यवाद 



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